Homeopathy The Medicine Of Future


होम्योपैथी आने वाले समय की चिकित्सा पद्यति है दुनियाभर में होम्योपैथिक चिकित्सा की जड़ें अब गहराती जा रही हैं और समाज का विश्वास होम्योपैथी पर बढ़ रहा है| इसलिए आवश्यक है कि होम्योपैथी के विषय में कुछ महत्वपूर्ण बातें जानी जाएँ| 

1. होम्योपैथी की खोज जर्मन डॉ. हैनीमैन द्वारा  1780 के लगभग तब हुई जब उन्होंने कुनीन पाउडर (Cincona Bark Powder,उन दिनों कुनीन का प्रयोग मलेरिया के ईलाज में और एक टॉनिक के रूप में भी होता था) का प्रयोग करते हुए पाया कि उनको मलेरिया जैसे लक्षण पैदा हो गए और उन्होंने सोचा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि कुनीन की वजह से उनको शरीर में मलेरिया जैसे लक्षण आये हैं क्योंकि यह कुनीन मलेरिया ठीक भी करती है| अब उन्होंने इसका प्रयोग अपने परिवार और मित्रों के साथ किया तो पाया कि सभी में कुनीन का पाउडर लेने से मलेरिया जैसे लक्षण उत्पन्न हो गए थे| इसके बाद उन्होंने कुछ और भी दवाओं के साथ प्रयोग किये और पाया कि जो दवा जिस बीमारी को  ठीक करने में काम आ रही थी वह स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में उस बीमारी के जैसे लक्षण भी पैदा कर सकती थी| 

Let Similar Be Cured By  Similar 

2. दूसरी  महत्वपूर्ण बात है होम्योपैथी का सिद्धांत "Let Similar Be Cured With Similar" यानि एक बीमारी से उसी के जैसी दूसरी बीमारी का ईलाज होम्योपैथिक दवाएं एक प्रकार से आर्टिफिशियल बीमारी हैं जो स्वस्थ व्यक्ति में कुछ बीमारियों जैसे लक्षण पैदा कर सकती हैं और बीमार व्यक्ति में उन्हीं लक्षणों से मिलती जुलती बीमारी को ठीक कर सकती हैं| 




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. होम्योपैथिक दवाओं 
 होम्योपैथिक दवाओं के परिक्षण जानवरों पर नहीं होते 
के परिक्षण स्वस्थ व्यक्तियों पर किये जाते हैं न कि चूहे, खरगोश या बंदरों पर| स्वस्थ व्यक्ति को होम्योपैथिक दवा कुछ समय लगातार देने पर उसके शरीर में कुछ लक्षण आने शुरू हो जाते हैं जिनको नोट कर लिया जाता है और बीमार व्यक्ति में वही लक्षण मिलने पर वह दवा उसको दी जाती है| शरीर में उत्पन्न ये लक्षण दवा रोक देने पर स्वतः समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति को कोई नुक्सान नहीं होता बल्कि वह स्वयं को पहले से कुछ बेहतर ही अनुभव करता है| होम्योपैथिक दवाएं अब जानवरों एवं पौधों की बिमारियों में भी सफलता पूर्वक प्रयोग की जा रही हैं|


4. होम्योपैथिक दवाओं के कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होते यह बात सही है लेकिन यह सोचकर बिना चिकित्स्क की सलाह लिए लम्बे समय किसी दवाई को न प्रयोग करें उससे कभी-कभी समस्या हो सकती है, यह आपकी संवेदनशीलता पर निर्भर करता है | होम्योपैथिक चिकित्सा में रोग के अनुसार सटीक दवा का चुनाव कठिन कार्य है, सही दवा का चुनाव न होने पर दवा नुकसान तो नहीं करती लेकिन फायदा भी नहीं करती और हम समझते हैं की ईलाज लम्बा है| 

5. होम्योपैथिक चिकित्सा से रोग दबते नहीं हैं बल्कि यदि कोई रोग ऐलोपैथिक चिकित्सा के चलते दब जाते हैं तो वह  फिर से उभर आते हैं| ऐसी परिस्थिति को सहन करना और संयम रखना रोग को जड़ से समाप्त करने में सहायक एवं आवश्यक है क्योंकि बिना शरीर से कूड़ा निकाले किसी रोग का स्थाई समाधान सम्भव नहीं है, (#डिटॉक्स के विषय पर हम बाद में चर्चा करेंगे)|
Homeopathic medicines are ENERGY only

6. होम्योपैथिक दवाएं ऊर्जा  होती हैं पदार्थ नहीं क्योंकि होम्योपैथिक दवाओं में 24  पावर के बाद जिस भी पदार्थ से कोई दवा बनी है उस पदार्थ का एक परमाणु भी नहीं होता केवल उसकी ऊर्जा होती है| बीमारियों का मुख्य कारण, दमित भावनाएं  (भावनाएं केवल मात्र ऊर्जा ही होती हैं) होती हैं जिन तक पहुँचने के लिए दवा का भी ऊर्जा के रूप में होना आवश्यक है और जिसे आजकल वैज्ञानिक नैनो मेडिसिन कह रहे हैं| यही कारण है कि होम्योपैथिक दवाएं रोग की जड़ तक पहुँच पाती हैं और इसी कारण से होम्योपैथिक चिकित्सक व्यक्ति की बीमारी से अधिक उसके बारे में सूक्षम जानकारी हासिल करने का प्रयास करते हैं| 
होम्योपैथिक दवाओं की वैज्ञानिकता साबित करने में अभी तक की हमारी वैज्ञानिक जानकारी असमर्थ है और इस तथ्य को जानने के बावजूद भी वर्तमान चिकित्सा वैज्ञानिक एवं चिकित्सक होम्योपैथिक चिकित्सा की लोकप्रियता को रोकने के लिए सार्वजानिक रूप से इस तथ्य को स्वीकार नहीं करते कि होम्योपैथिक चिकित्सा ऐलोपैथक चिकित्सा से बहुत आगे है और उनकी समझ के भी बाहर है| 

डॉ. संजय जिंदल 
बी.एच.एम्.एस., एच.डी.ए. 
होम्योपैथिक चिकित्सक एवं काउंसलर 
मो. 9810628612